एक व्यक्ति अनेकों किरदार…और हर एक किरदार की अपनी एक अनोखी छाप, फिर चाहे वो पान सिंह तोमर का एक बाग़ी फ़ौजी हो, मदारी का बदला लेता पिता निर्मल, नॉक आउट का बंदूक़ की नोक पर डरा, सहमा सा एक क्रिमनल टोनी खोसला, थैंक यू मूवी का ठरकी विक्रम बॉस, लाइफ़ ऑफ पाई का अपनी आपबीती सुनाता पाई पटेल, रोग का संजीदा आशिक़ उदय राठोर, बिल्लु की कहानी का एक समर्पित सच्चा दोस्त बिल्लु, हिंदी मिडीयम का अपनी ही एक दुनिया में रहने वाला सबको ख़ुश रखने वाला व्यवसायी राज बत्रा, लंच बॉक्स के संजीदा प्रेमी साजन फ़रनैंडिस, क़रीब क़रीब सिंगल का दिल फैंक आशिक़ योगी या फिर पिकु का हैरान परेशान पर फिर भी चुटकियाँ लेता किरदार राणा और ना जाने कितने नाम और उनकी ना जाने कितनी कहानियाँ, और उन सब को जी कर अमर कर देने वाला एक कलाकार ‘इरफ़ान’।
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छायाचित्र साभार - IMDb |
मै इरफ़ान जी की/का बहुत बड़ी/बड़ा फ़ैन हूँ… असंख्य लोग है इस बात का दावा करने वाले, और हो भी क्यूँ ना, वो बेहतरीन अदाकारी, वो बोलती आँखे, वो रुहानि चेहरा और वो दिलकश आवाज़ जो आपको सुनने पर मजबूर कर दे, भला मुमकिन है ऐसे नायक को ना चाहना। दोस्तों जिस तरह पानी का कोई रंग या आकार नहीं होता, वो जिसमें में मिल जाए, और जहाँ रह जाए वहीं उसका रंग और आकार बना जाता है, ठीक वैसे ही होता है एक मंझा हुआ अभिनेता, जो जिस भी किरदार को निभाता है उसमें ख़ुद को इस तरह रचा बसा लेता है मानो वो हमेशा से वहीं है, जिसे हम अभी इस वक़्त देख रहे है, और फिर बिना किसी परीक्षण और सवाल के हम उस किरदार को यथार्थ मान लेते है और यह भूल जाते है की वो महज़ एक किरदार है जिसे हमारा प्यारा अभिनेता अपनी अदाकारी से निभा रहा था। कितना उच्च स्तरीय सम्मोहन है ये, जिसमें अपनी अदाकारी के उड़नखटोले में बैठा कर कलाकार आपको ऐसी यात्रा कराता है जिसमें आप कई कहानियों के साक्षी बन ऐसे अनुभवों से गुज़रतें है जो आपको भीतर तक उस अभिनय के उत्तम रस में सराबोर कर देता है, और ऐसी ही सम्मोहन शक्ति के धनी रहे महान अभिनेता, बेमिसाल व्यक्तित्व और सबके प्यारे कलाकार इरफ़ान ख़ान, जिनके सम्मोहन के बहाव की निरंतरता उन महान नदियों के समान है जो आदिकाल से निरंतर बहते हुए सभी को अपने मीठे पानी से तृप्त करते आ रही है।
कहते है की इस संसार में सब कुछ नश्वर है, मतलब एक ना एक दिन हर एक चीज़ और हर एक व्यक्ति को ख़त्म हो जाना है, पर एसे में भी कला वो संजीवनी है जो कलाकार को कभी मरने नहीं देती, बशर्ते उसका शरीर नष्ट हो जाए पर उसकी कला हमेशा उसे ज़िंदा रखती है। इरफ़ान आज इस दुनियाँ में नहीं है पर उनकी बेबाक़ हँसी, उनकी बेहतरीन अदाकारी, उनका दिलकश अन्दाज़, उनकी बोलती निगाहें, उनका वो सजीव अभिनय और उनकी हर एक बात हमेशा धड़कन बनकर उनके चाहने वालों के दिल में धड़कती रहेगी, क्यूँकि हर कोई जानता है कि वो “इरफ़ान ख़ान जी का कितना/कितनी बड़ा/बड़ी फ़ैन है”…. वी लव यू इरफ़ान सर
हमारे शब्द शायद कम पड़ जाए आपको याद करने में पर जज़्बातों और भावनाओं का वो सागर कभी कम नहीं पड़ सकता जिसकी हर बूँद पर ‘इरफ़ान’ लिखा है, और जिसकी हर एक लहर हर एक किरदार का झरोखा लिए कुछ ऐसे गुज़रती है मानो आपको छू कर फिर कुछ याद दिलाना चाहती हो, याद उस व्यक्ति की जो कहानी है इन सब किरदारों की….एक व्यक्ति अनेक किरदार इरफ़ान ख़ान।
पूजा आनंद